12 o'clock

अंदर भूत है




12 ओ क्लॉक एक हिंदी भाषिय 2021 की साइक्लोजिकल हॉरर ड्रामा फिल्म  है जोकि रामगोपाल वर्मा के द्वारा लिखी और निर्देश भी की गई है  । इस फिल्म का नाम पहले तो गहर  के नाम से तय किया गया था परंतु इसका ट्रेलर एक नए नाम 12 'O' CLOCK गाने गाने गाने धमाका के साथ लांच किया जो कि 3 जुलाई 2020 को किया गया था ।  कोरोना के कारण इस फिल्म की रिलीज डेट आगे बढ़ा दी गई और अब इसे 8 जनवरी 2021 को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म UFO और सिनेमाघरों में रिलीज किया गया  जिसमें मुख्य भूमिका में मिथुन चक्रवर्ती ,फ्लोरा सैनी , मानव कौल, कृष्णा गौतम और मारकंड देशपांडे है।

12 ओ क्लॉक की कास्ट 

  • मिथुन चक्रवर्ती - मनोचिकित्सक देबू

  • फ्लोरा सैनी - डिसूजा की पत्नी

  • मानव कौल - फ्रांसिस डिसूजा, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
  
  • कृष्णा गौतम- गौरी

  • मारकंड देशपांडे- राव

  • आशीष विद्यार्थी- तांत्रिक बाबा

  • अली असगर - डॉक्टर

  • दिलीप ताहिल - कमिश्नर

12 o'clock  का क्रू 

डायरेक्टर - राम गोपाल वर्मा
प्रोडूसर  -  राम गोपाल वर्मा
राइटर - राम गोपाल वर्मा
संगीत - एम.एम .करवानी
प्रोडक्शन कंपनी - कंपनी प्रोडक्शन
वितरण -  यूएफओ मूवीस
रिलीज़ डेट - 8 जनवरी 2021

श्रेणी हिन्दी , हॉरर ड्रामा 

अवधि - 1 Hrs 35 Min


  एक साइको किलर को 2 वर्ष पहले एक एक एनकाउंटर में मार दिया जाता है फिर वह 2 साल बाद अपनी मौत का बदला लेने के लिए वापस आता है फिर शुरू होता है एक मौत का सिलसिला जिसमें कई लोगों को मार  दिया जाता है जिस कारण से वहां की  लोकल पुलिस के ऊपर काफी पॉलिटिकल दबाव  होता है जिसमें इंस्पेक्टर फ्रांसिस डिसूजा को अपप्वाइंट किया जाता है उनको छानबीन करने के बाद भी कुछ भी हाथ नहीं लगता है ।

फिर वहां से फिल्म का सीन मिस्टर राव के एक छोटे से परिवार पर आता है जिसमें मिस्टर राव की पत्नी बेटी गोरी बेटा और मिस्टर राव की मां रहती हैं । मिस्टर राव के परिवार में उनकी बेटी गौरी के साथ कुछ अजीब सा होने लगता है  उनकी बेटी रात में उठ कर बैठ जाती है, उसे नींद में बुरे सपने आने लगते हैं और कभी कभी वह नींद में चलने लगती है बात तो तब बढ़ जाती है जब उनकी बेटी रात में उठ कर रोने लगती है और और चिल्लाने लगती है उन्हें लगता है कि उनकी बेटी पर परीक्षा का दबाव  है जिस कारण से उसकी यह हालत हो गई है परंतु  मिस्टर राव अपनी बेटी को पास के एक डॉक्टर के पास दिखाने के लिए लेकर जाते हैं पर उनकी  बेटी कुछ होने लगता है और उनकी बेटी डॉक्टर के ऊपर छेड़छाड़ का आरोप लगाकर वहां से भाग जाती है ।

फिर फिल्म मैं मिस्टर राव की बेटी को उसके बॉयफ्रेंड के साथ दिखाया जाता है और वहां से वह घर आकर अपनी मां से बदतमीजी से बात करने लगती है और अभद्र टिप्पणी भी करती है तभी मिसटर राव की एंट्री होती है वह यह बात है सुन लेते हैं मैं अपनी बेटी को समझा-बुझाकर चुप करा देते हैं । यह बात मिस्टर राव अपने पड़ोसी को बताते हैं तो उनके पड़ोसी कहते हैं की आपकी बेटी रात में उठकर रोती है और उसको बुरे सपने आते हैं और अब यह बदतमीजी से बात करना और अपने घरवालों को अभद्र तरीके से बात करने से उन्हें लगता है की की है भूत प्रेत से संबंधित बात है दुबे एक तांत्रिक बाबा के विषय में बताते हैं हमने वहां पर जाने की सलाह देते हैं  और वे और मानकर तांत्रिक बाबा के पास जाने का मन बना लेते हैं ।


मिस्टर राव अपनी बेटी को लेकर तांत्रिक बाबा के पास जाते हैं परंतु तांत्रिक बाबा का भूत भगाने का बर्ताव उन्हें पसंद नहीं आता है और वे अपनी बेटी को लेकर अपने घर पर आ जाते हैं घर पर जाकर गौरी के अंदर जो आत्मा थी वह यह बताती है की शहर में जो खून हो रहे हैं वह उसी ने किया यह सब सुनके मिस्टर राव बहुत परेशान हो जाते हैं और वह पुलिस स्टेशन स्पेक्टर फ्रांसिस डिसूजा के पास पहुंच जाते हैं और उन्हें सारी बात बताते हैं कि कैसे शहर में खून हो रहे हैं इंस्पेक्टर गोरी से मिलने की इच्छा जाहिर करते हैं जैसे ही इंस्पेक्टर फ्रांसिस डिसूजा गोरी से मिलते हैं तो उन्हें पता चलता है तो वही साइको किलर बाबू है किसको उन्होंने एनकाउंटर में मारा था वह परेशान हो जाता है दूसरी तरफ गौरी यानी बाबू की आत्मा डॉक्टर और उसकी नर्स को मार देती है यह बात अपने पिता को बता देती है कि मैंने डॉक्टर को मार दिया यह सब बातें सुनकर गौरी पिता मनोचिकित्सक डॉक्टर देबू को गोरी को देखने के लिए बुलाते हैं गोरी से बात कर कर डॉक्टर दीपू को पता लगता है कि उनकी माता जी की मृत्यु हो गई है यह कंफर्म करने के लिए अपने घर पर फोन लगाते हैं जवानों का जलता है कि गोरी सच बोल रही है और डॉक्टर देबू वहां से चले जाते हैं ।

इधर स्पेक्टर फ्रांसिस डिसूजा कमिश्नर से मिलने पहुंचते  हैं और बताते हैं की वह आज बाबू से मिले जिसे उन्होंने  एनकाउंटर में मारने का आर्डर दिया था यह सब सुनकर कमिश्नर इंस्पेक्टर फ्रांसिस डिसूजा को मेंटली डिस्टर्ब समझ लेते हैं और ना तो छुट्टी लेकर आराम करने की सलाह देते हैं । इत्तेफाक से कमिश्नर डॉक्टर देबू के दोस्त होते हैं कमिश्नर इंस्पेक्टर फ्रांसिस डिसूजा की मेंटली डिस्टर्ब होने के बाद दीपू को बताते हैं और यह भी बताते हैं की गोरी नाम की लड़की के अंदर एक आत्मा है जिसे उन्होंने 2 साल पहले मारने का आर्डर दिया था तभी कमिश्नर के फोन पर बैल बजती है और अपना चलता है कि की इंस्पेक्टर डिसूजा ने अपनी पत्नी को मारकर खुदकुशी कर ली है यह सब सुनकर देबू और कमिश्नर गौरी को देखने का मन बनाते हैं और राव के घर पहुंच कर वे गौरी से बात करते हैं और गोरी के अंदर क्यों बाबू की आत्मा इंस्ट्रक्टर फ्रांसिस डिसूजा और कई लोगों का खून कबूल कर लेती है ।

उसके बाद आप एक वाहियात फिल्म की एंडिंग देखेंगे जिसमें तांत्रिक बाबा गोरी को मारने की सलाह देते हैं जिस पर उसका परिवार भी राजी हो जाता है ।

 
ऐक्टिंग 

इस फिल्म यानी 12 o clock की बात करा दो इस फिल्म में कहीं भी सेक्स और न्यूडिटी नहीं है पर इस फिल्म में गाली गलौज है जिसे कहीं  कहीं पर म्यूट भी कर दिया गया है फिल्म जो कैमरा एंगल् और एडिटिंग की गई है वह खासा या कह सकते हैं अच्छी नहीं है 
अब अगर फिल्म में एक्टिंग की बात करें तो  मानव कौल, दिलीप ताहिल और मिथुन चक्रवर्ती यह सब फिल्में नॉर्मल लगते हैं इसके बाद कहीं हद तक वो सैनी भी अच्छा किरदार निभा रही हैं  परंतु जो तांत्रिक बाबा और डॉक्टर का जो करैक्टर था वह बहुत ही वाहियात तरीके से दिखाया गया है जिसमें डॉक्टर  अली असगर अपनी नर्स को देखकर लार टपका रहे हैं जिसे देखकर वाकई में घिनोना लगता है । बाकी के करेक्टर्स की बात करें तो  उन्हें देखकर राम गोपाल वर्मा की बाकी जो पिछले वर्षों 12 से 13 वर्षों  में बनी हुई फिल्मों की याद आ जाती है जिसमें बहुत ही खराब तरीके से उनके करेक्टर्स को दिखाया गया है इन कलाकारों ने उन सभी को पीछे छोड़ दिया है उन्हें देखकर लगता है कि वह मानसिक रूप से तनाव में है उन्हें जबरदस्ती काष्ट किया गया या कहें उनके अंदर भी किसी का भूत नजर आ जाएगा गोपाल वर्मा की फिल्में ऐसे ही होती हैं जिसके किरदार अपनी  अलग ही दुनिया में होते हैं जिन्हें देखकर एक विचित्र सा अंदर से महसूस होता है एक बहुत ही गंदी से गंदा सा लगता है हमारा फिल्म देखने का एक बहुत अच्छा मूड खराब हो जाता है । 
 इसमें रामगोपाल वर्मा का डायरेक्शन भी कुछ खास अच्छा नहीं है जिसे देखकर आप फिल्म को उबाऊ महसूस कर सकते हैं आप फिल्म के बैकग्राउंड मैं जो आवाजे  उनसे आप खासा परेशान हो सकते हैं कहीं  तक आवाज आ जाना ठीक भी है पर  बहुत देर तक सुनना असहनीय है ।



 
इस फिल्म मैंआप अपने फेवरेट स्टार  मिथुन चक्रवर्ती दिलीप ताहिल मानव कौल फ्लोरा सैनी को देखने जा सकते हैं इसके अलावा इस फिल्म में कुछ ज्यादा खास नहीं है इसमें दोस्त के नाम पर कुछ दिखता ही नहीं है जिसे देख कर आपको लगे केस में कोई गोष्ट यानी भूत है 



 
तो दोस्तों यह थी फिल्म की कहानी ।   तो दोस्तों आप भी बता सकते हैं अपना अनुभव तो जाइए अपने पास ही के सिनेमा घरों मैं और आप इस  फिल्म  को यूएफओ के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी देख सकते हैं । आप अपने एक्सपीरियंस हमें बताएं कि आपको यह फिल्म कैसी लगी ! 
 धन्यवाद



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